चैटबाट क्या है? || चैटजीपीटी या अन्य एआइ चैटबाट के साथ अपने डाटा को सुरक्षित कैसे रखें।

चैटबाट क्या है? || चैटजीपीटी या अन्य एआइ चैटबाट के साथ अपने डाटा को सुरक्षित कैसे रखें।

चैटजीपीटी या अन्य एआइ चैटबाट के साथ अपने डाटा को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको प्राइवेसी से जुड़े खतरों को समझना होगा।

पारदर्शिता और नियंत्रण के भले ही दावे किए जाएं, पर स्वयं की सतर्कता अधिक लाभकारी है। जेनरेटिव एआइ के दौर में डाटा सुरक्षा और बचाव तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं।

साल 2017 में ‘द इकोनामिस्ट’ ने कहा था कि दुनिया का सबसे मूल्यवान संसाधन अब तेल नहीं, बल्कि डाटा है। इसके बाद से यह वाक्य न जाने कितनी बार दोहराया गया। डाटा के इसी महत्व को समझते हुए दुनिया का हर संस्थान डाटा संग्रह और विश्लेषण (एनालिटिक्स) में निवेश के लिए उतावला है। लेकिन, हर एक वस्तु का एक स्याह पक्ष भी होता है, चाहे वह तेल हो, डाटा हो या फिर डाटा एनालिटिक्स।

तकनीक की व्यापक स्वीकार्यता ने निस्संदेह मानव क्षमताओं में वृद्धि की है, पर इसके साथ प्राइवेसी और डाटा सिक्योरिटी की चुनौतियां भी बढ़ी हैं। खासकर, संवेदनशील डाटा और निजता पर अभूतपूर्व जोखिम मंडरा रहा है।

आज मशीन लर्निंग (एमएल) एल्गोरिदम संस्थानों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ तो दे रहे हैं, लेकिन इसके साथ छोटी-सी गलती की कीमत भारी पड़ सकती है।

इससे न केवल प्रतिष्ठा व राजस्व की हानि हो सकती है, बल्कि जीवन भी खतरे में पड़ सकता है। इसलिए, मशीनी दिमाग के साथ डाटा, डिजिटल सुरक्षा और संस्थान की गोपनीयता को सर्वोपरि रखना चाहिए।

संवेदनशील डाटा को लेकर सतर्कता टेलीग्राम चैटबाट के जरिए स्टार हेल्थ के ग्राहकों का संवेदनशील डाटा लीक हो या चैटजीपीटी द्वारा डाटा स्क्रैपिंग या फिर माइक्रोसाफ्ट और एक्स पर कस्टमर डाटा से एआइ माडल की ट्रेनिंग का आरोप, ये सभी प्रकरण हमें डाटा सुरक्षा की बढ़ती चिंताओं के प्रति आगाह करते हैं। चूंकि, शापिंग से लेकर बैंकिंग तक, हर छोटे-बड़े कार्य के लिए हमारा पहला सामना चैटबाट से होता है, ऐसे में इनसे जानकारियों को साझा करने के दौरान कैसे बचना है, यह समझना महत्वपूर्ण है।

क्यों बढ़ रहा है जोखिम :

डाटा दुरुपयोग कोई नई बात नहीं है। डिजिटल स्पेस में इसकी आशंका हर समय रहती है। अभी तक डाटा सेंध में जिम्मेदार संस्था या कंपनी को चिह्नित करना संभव था। साथ ही, केंद्रीकृत व्यवस्था के चलते डाटा सेंध को रोकना और नियंत्रित करना भी अपेक्षाकृत आसान था। लेकिन, चैटजीपीटी जैसे चैटबाट के विकेंद्रीकृत होने के कारण बाधाएं थोड़ी अलग और जटिल हैं। दरअसल, एआइ चैटबाट ओपन स्पेस में काम करते हैं, उनकी केंद्रीकृत निगरानी नहीं है, इसलिए सुरक्षा खामियों को पकड़ना और उनका समाधान बहुत मुश्किल है। यहां तक कि चैटबाट एल्गोरिदम ट्रेनिंग के लिए कंपनी के आंतरिक डाटा का भी प्रयोग हो सकता है।

किस तरह का होता है जोखिम :

हर बढ़ते दिन के साथ निरंतर निगरानी, सख्त डाटा गवर्नेस और जागरूकता की आवश्यकता बढ़ रही है। सुरक्षा के मद्देनजर डाटा एक्सेस के साथ-साथ इंटरेक्शन के पहलू पर भी विचार करना चाहिए। चूंकि, चैटजीपीटी, जेमिनी और कोपायलट जैसे चैटबाट मानव की तरह संवाद करने में समर्थ हैं, ऐसे में हमें इंसानी और मशीनी दिमाग के भेद को समझना होगा। चैटबाट से अगर निजी और संवेदनशील जानकारियां साझा हुईं तो उसके उजागर और दुरुपयोग होने की आशंका प्रबल हो जाएगी।

आइए महत्वपूर्ण बातें जानते हैं –

  1. सुरक्षा जोखिम को जानने के लिए चैटबाट से जुड़ी प्राइवेसी पालिसी को समझना चाहिए।
  2. इंटरनेट मीडिया पर एआइ चैटबाट का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
  3. एआइ बाट्स के साथ मेडिकल संबंधी जानकारी साझा करने से बचना चाहिए।
  4. ऐसे प्रश्न पूछने से बचना चाहिए, जिससे आपकी आइडेंटिटी या जानकारी उजागर हो सकती है।

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