TDS
TAX DEDUCTED AT SOURCE
TDS सरकार द्वारा इनडायरेक्ट टैक्स का तरीका है। इससे टैक्स की चोरी को रोका जाता है। TDS को साधारण तरीके से इस तरह समझ सकते हैं (प्रतिशत) आपकी इनकम का कुछ भाग : आपको इनकम प्रदान करने वाली संस्था द्वारा काटा जाता है उसे ही टीडीएस कहते हैं।
टैक्स कलेक्शन से होने वाली इनकम सरकार की रेवेन्यू का मुख्य सोर्स होता है। लोगो से प्राप्त किये गए टैक्स से ही सरकार देश में काफी तरह की सुविधाएं देने में सक्षम हो पाती है, जैसे मेडिकल, एजुकेशन, सोशल सिक्योरिटी, ट्रांसपोर्ट आदि।
TDS Deductor and TDS Deductee
किसी भी तरह के पेमेंट के ट्रांजेक्शनों में 2 पर्सन होते है, पहला पर्सन वह होता है जो कि पेमेंट करता है और दूसरा पर्सन पेमेंट प्राप्त करने वाला होता है।
टीडीएस के रूल्स के अनुसार जो भी पर्सन पेमेंट करता है, वह पर्सन tds काटने के लिए जिम्मेदार होता है। टीडीएस काटने वाले पर्सन को इनकम टैक्स की भाषा में टीडीएस डिडक्टर) tds deductor) कहा जाता है,
और जिस पर्सन को पेमेंट प्राप्त होता है उस पर्सन को टीडीएस डिडक्टरी) tds deductee) के नाम से जाना जाता है।
टीडीएस किस तरह के पेमेंट पर और कब काटा जाता है।
वर्तमान में सरकार द्वारा काफी तरह के पेमेंट्स को टीडीएस के दायरे में लाया जा चुका है, यानि कि आज के समय में सभी तरह के पेमेंट पर टीडीएस काटना अनिवार्य हो चुका है। अगर आप टीडीएस नहीं काटते, तो आप पर इंटरेस्ट और पेनल्टी लगायी जायेगी।
टीडीएस के दायरे में आने वाले कुछ इम्पोर्टेन्ट पेमेंट्स –
- Salary
- Interest
- Professional Fee
- Commission
- Brokerage
- Rent
- On the amount won in lottery/online games.
हालाँकि, इन सभी पेमेंट्स परोटीडीएस तभी काटा जायेगा जब किये जाने वाला भुगतान निर्धारित लिमिट से ज्यादा होता है। निर्धारित लिमिट से कम पेमेंट होने पर टीडीएस नहीं काटा जायेगा।
