TALLY GROUP:
PRIMARY GROUP
1- Capital Account
2- Loans Liabilities
3- Current Liabilities
4- Fixed Assets
5- Investment
6- Current Assets
7- Miscellaneous Expenses (Assets)
8- Suspense Account
9- Branch Division
10- Sales Account
11- Purchase Account
12- Direct Income
13- Direct Expenses
14- Indirect Income
15- Indirect Expenses
SECONDRY GROUP
16- Reserve & Surplus (Capital Account)
17- Bank Over Draft (Loans Liabilities)
18- Secured Loans (Loans Liabilities)
19- Unsecured Loans (Loans Liabilities)
20- Duties & Tax (Current Liabilities)
21- Provision (Current Liabilities)
22- Sundry Creditors (Current Liabilities)
23- Sundry Debtors (Current Assets)
24- Deposit Assets (Current Assets)
25- Loans & Advance Assets (Current Assets)
26- Cash in Hand (Current Assets)
27- Stock in Hand (Current Assets)
28- Bank Account (Current Assets)
1- Capital Account:-
सभी प्रकार के पूँजी खाते (जब व्यापार आरम्भ करते है) Capital Account के अन्तर्गत खोले जाते है। जैसे राम ने 10000 से व्यापार आरम्भ । (Ram is a Capital A/c)
2- Loans Liabilities:-
व्यापार द्वारा लिए गए ऋण व्यापार का दायित्व है। इस प्रकार के खाते Loans Liabilities के अन्तर्गत बनाए जाते है। जैसे राम ने अपने मकान को गिरवी रख कर 10000 का राहुल से लोन लिया। (Rahul is a Loans Liabilities)
3- Current Liabilities:-
चालू दायित्व के खाते Current Liabilities के अन्तर्गत खोले जाते है। जैसे-अग्रिम लिया हुआ ऋण, विविध लेनदार।
राम ने राहुल से 5000 का Computer उधार खरीदा ।
(Rahul is a Current Liabilities (Sundry Creditors))
4- Fixed Assets:-
सभी प्रकार की स्थायी सम्पत्तियों के खातें Fixed Assets के अन्तर्गत बनाए जाते है। जैसे-भवन, मशीनरी, प्लाट आदि। राम ने 10000 का सेल फोन खरीदा।
(Cell Phone is a Fixed Assets)
5- Investment Account:-
किसी भी प्रकार के विनियोग किए गए खाते Investment Account के अन्तर्गत बनाए जाते है। जैसे लाभांश खाते, विनियोग खाते, अंश खाते आदि।
6- Current Assets:-
सभी प्रकार की चालू सम्पत्तियों के खाते Current Assets के अन्तर्गत खोले जाते है। जैसे रोकड़ खाता, बैंक खाता, देनदार खाता, अग्रिम खाता आदि।
7- Miscellaneous Exp. Assets:-
यह कई प्रकार के खर्चे होते है, जो प्रारम्भ में अतिरिक्त व्यय के रुप में किए जाते है।
8- Suspense Account:-
जब बैलेन्स सीट का योग बराबर न आ रहा हो तब उस समय अन्तर की धनराषि Suspence Account में डाल देते हैं।
9- Branch Division:-
Main company के द्वारा बनाये गए अपने ब्रांच के खाते Branch Division के अन्तर्गत आते है।
10- Sales Account:-
सभी प्रकार के विक्रय माल के खाते Sales Account के अन्तर्गत बनाए जाते है, चाहे वह उधार हो या नगद।
11- Purchase Account:-
सभी प्रकार के क्रय किए गए माल के खाते Purchase Account के अन्तर्गत बनाए जाते है, चाहे वह उधार हो या नगद।
12-Direct Income:-
सभी प्रकार के प्रत्यक्ष आय जो व्यापार से आती है, वह Direct Income में दर्शायी जाती है।
13- Direct Expenses:-
व्यापार में जो प्रत्यक्ष रुप से व्यय किए गए है, उनके खाते Direct Expenses के अन्तर्गत आते है।
14- Indirect Income:-
सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष आयों के खातें Indirect Income के अन्तर्गत बनाए जाते है, जैसे प्राप्त किराया, प्राप्त छूट, प्राप्त कमीशन आदि।
15- Indirect Expenses:-
सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष व्ययों के खाते के Indirect Expenses अन्तर्गत बनाए जाते है, जैसे कमीशन खाता, व्यय खाता, किराया खाता, आदि।
16- Reserve & Surplus:-
लाभ से बनाए जाने वाले कोश के खाते Reserve & Surplus में बनाए जाते है, जैसे पूंजी कोश, पूंजी शोधन कोश आदि।
17- Bank Over Draft:-
जब बैंक जमा से अधिक राशि देने लगे तो उसको Bank Over Draft कहते है। (जब बैंक से लोन लेते हैं)
18- Secured Loans:-
सभी प्रकार के सुरक्षित ऋण के खाते Secured Loans के अन्तर्गत बनाए जाते है।
19- Unsecured Loans:-
सभी प्रकार के असुरक्षित ऋण जिनका कोई कानूनी प्रारुप न हो उनका खाता Unsecured Loans के अन्तर्गत बनाए जाते है।
20-Duties & Tax:-
सभी प्रकार के करों के खाते Duties & Tax के अन्तर्गत बनाए जाते है।
21-Provision:-
सभी प्रकार के किए गए प्रावधान के खाते Provision के अन्तर्गत बनाए जाते है, जैसे- वेतन के लिए प्रावधान, किराए के लिए प्रावधान।
22- Sundry Creditors:-
भविष्य में जिनको पैसा देना होता है वे लेनदार होते है, उनके खाते Sundry Creditors के अन्तर्गत बनाए जाते है।
22- Sundry Debtors:-
भविष्य में जिनसे पैसा लेना होता है वे हमारे देनदार होते है,
उनके खाते Sundry Debtors के अन्तर्गत बनाए जाते है।
24- Deposit Assets:-
किसी वस्तु के लिए Security के रुप में पैसा जमा करना Deposit
Assets कहलाता है, जैसे दुकान के लिए 2,0000 जमा किए।
25- Loans & Advance Assets :-
सभी प्रकार की अग्रिम दी हुयी धनराषि Loans & Advance Assets के अन्तर्गत आती है।
26- Cash in hand:-
यह ग्रुप Cash के लिए इस्तेमाल होता है।
27- Stock in hand:-
यह ग्रुप Stock के लिए होता है।
28- Bank Account:-
सभी प्रकार के Banks के खाते Bank Account में खोले जाते है, जैसे- ICICI Bank, State Bank, HDFC Bank.